Wednesday, December 3, 2008

दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली 
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली 

तुम मुहब्बत को खेल कहते हो 
हम ने बर्बाद ज़िन्दगी कर ली 

उस ने देखा बड़ी इनायत से 
आँखों आँखों में बात भी कर ली 

आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है 
बेवफ़ाई कभी कभी कर ली 

हम नहीं जानते चिराग़ों ने 
क्यों अंधेरों से दोस्ती कर ली 

धड़कनें दफ़्न हो गई होंगी 
दिल में दीवार क्यों खड़ी कर ली


2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत भावभीनीं रचना है।बधाई।

"अर्श" said...

बहोत बढ़िया भाई......