Sunday, November 2, 2008

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है 
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है


जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है 
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है 
अब तक जो होता आया है वो ही होना है


रात अँधेरी भोर सुहानी यही ज़माना है 
हर चादर में दुख का ताना सुख का बाना है 
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है

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