Sunday, November 2, 2008

अब खुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला

अब खुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला


हर बेचेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला


उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला


दूर के चांद को ढूंढ़ो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आंगन में समाने वाला


इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सबकी दुनिया
कोई जल्दी में कोई देर में जाने वाला 

1 comment:

"अर्श" said...

कुलदीप जी अच्छा लिख रहे है जारी रहे ....