कभी आंसू कभी खुशी बेची,
हम गरीबो ने बेकसी बेची,
चाँद साँसे खरीदने के लिए,
रोज़ थोडी सी ज़िंदगी बेची,
जब रुलाने लगे मुझे साये,
मैंने उकता के रौशनी बेची,
एक हम थे के बिक गए ख़ुद ही,
वरना दुनिया ने दोस्ती बेची,
उससे पहले मै सिर्फ़ आपका आभार व्यक्त करके लिखना बंद कर रहा हु, मेरे ब्लॉग पर आप आए है आपका हार्दिक स्वागत है - आभार
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