Saturday, October 25, 2008

रौशनी देते रहना

On the eve of Deepwali I am posting my poem रौशनी देते रहना,
which I have written for myself.

अपनी  राह  में फूल हो न हो फिर भी
दोस्तों की राहो के कांटे हटाते रहना

जिन्दगी को  ख्वाबों से सजाते रहना  
मुश्किलें आए तो भी सदा मुस्कराते रहना

अपना हाल-ऐ-इलम ना होने देना 
हालात को इस कदर छुपाते रखना 

ख्वाबों के सारे जनाजे डूब भी जायें
मगर ताबूतों को हमेशा संभाले रखना  

जब कभी तन्हाई आ घेरे तुझको  
अपने दिल को गेरों संग बतलाते रहना

गम उठाकर भी तू खुशिया देते रहना  
बस हर हाल में रौशनी देते रहना 

क्या बुरा है इस ज़माने में ऐ 'दीप'
ख़ुद जलकर भी रौशनी देते रहना

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