On the eve of Deepwali I am posting my poem रौशनी देते रहना,
which I have written for myself.
अपनी राह में फूल हो न हो फिर भी
दोस्तों की राहो के कांटे हटाते रहना
जिन्दगी को ख्वाबों से सजाते रहना
मुश्किलें आए तो भी सदा मुस्कराते रहना
अपना हाल-ऐ-इलम ना होने देना
हालात को इस कदर छुपाते रखना
ख्वाबों के सारे जनाजे डूब भी जायें
मगर ताबूतों को हमेशा संभाले रखना
जब कभी तन्हाई आ घेरे तुझको
अपने दिल को गेरों संग बतलाते रहना
गम उठाकर भी तू खुशिया देते रहना
बस हर हाल में रौशनी देते रहना
क्या बुरा है इस ज़माने में ऐ 'दीप'
ख़ुद जलकर भी रौशनी देते रहना
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